गरुड़ पुराण के अनुसार नर्क में मिलने वाली 10 सबसे खतरनाक सजाएं | Garud puraan me bataee gaee 10 sabase khataranaak sajaen

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गरुड़ पुराण में हजारों नरको के बारे में बताया गया है साथ ही उन हजारों नरको में हजारों तरह की सजाएं दी जाती है उन हजारों नरको में से हम आपको 10 ऐसे खतरनाक नरको एवं उन में दी जाने वाली सजाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें सुनने के बाद आप कोई भी पाप करने से पहले काफी बार सोचेंगे। तो आइए जानते हैं ऐसे ही 10 नरको के बारे में

10)  आयुम्नाम

कर्म:     शराब एवं अन्य तरह के नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले लोग।

दण्ड   शराब एवं अन्य नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले लोग आयुम्नाम नाम के इस नर्क में आकर गिरते हैं जिसमें महिलाओं एवं पुरुषों दोनों के लिए अलग-अलग संस्थाएं हैं यहां महिलाओं को पिघला हुआ लोहा पिलाया जाता है वही दूसरी और पुरुषो को पिघला हुआ लावा पिलाया जाता है।

9)  अंधकुपाम

कर्म:     संसाधन होने के बावजूद लोगों की मदद ना करना, अच्छे लोगों पर अत्याचार करना।

दण्ड:    इस नर्क में एक बड़ा गड्ढा बना होता है जिसमें भेड़िए आदि जंगली जानवर रहते हैं पापियों को दंड देने के लिए यमदूत उन्हें लाकर इस गड्ढे में डाल देते हैं सभी जंगली जानवर उन पापियों को नोच-नोच कर खाने लगते।

8)  वज्रकंडक

कर्म:     जानवरो, मनुष्यो और अनजान लोगो से योन संबंध बनाने वाले व्यक्तियों को इस नरक में भेजा जाता है।

दण्ड:    इस नर्क में आने वाले व्यक्तियों को आग से जलती हुई मूर्तियों को गले लगाना होता है जिस पर तेज नुकीली सुईया लगी होती है जो कि लगातार उनके शरीर के आर-पार निकल कर उन्हें छल्ली कर देती है सभी पापी पीड़ा से चिल्लाने लगते हैं उनका शरीर इन सुईयो से लहूलुहान हो जाता है।

7)  तप्तकुम्भ 

इस नर्क में चारों ओर अत्यधिक गरम-गरम घड़े हैं उनके चारों और अग्नि जलती रहती है वह घड़े तेल और लोहे के चूर्ण से भरे रहते हैं।

यमदूत पापियों को उसमें लाकर डाल देते हैं खोलते हुए तेल में पापी जलने लगते हैं यमदूत नुकीले हथियारों से उनके शरीर को छेदने लगते हैं यमदूत नुकीले हत्यारों से पापियों की खोपड़ी हड्डियां एवं मास को छेद कर तेल में डूबाने लगते हैं गिद्ध वहां से निकलकर झपट्टा मारते हुए पापियों के मांस के टुकड़ों को चोंच से उठाकर ले जाते हैं जब पापियों का शरीर छिन्न-भिन्न हो जाता है तब उन्हें तेल में तलते हुए करछुये से पलटने लगते हैं एवं इस प्रकार जब पापियों का पूरा शरीर छल्ली होकर बिखर जाता है तब वे उसका काढ़ा बना देते हैं।

6)  असिपत्रवन 

यह नर्क 1000 योजन तक फैला हुआ है नर्क की धरती अग्नि के समान जलती रहती है उसके साथ ही सूर्यदेव भी निरंतर इस पर अपनी अग्नि का प्रकोप डालते रहते हैं इस प्रकार उसमें जाने वाले पापी निरंतर गर्मी से जलते रहते हैं। इस नर्क के बीचो बीच एक चौथाई भाग में “शीतस्निग्धपत्र” नाम का एक वन है उसमें पेड़ों से गिरे फलों और पत्तों के ढेर लगे हुए हैं मांसाहारी कुत्ते उसमें  भ्रमण करते हैं उनके मुख बड़े होते हैं उनके दांत नुकीले और तेज होते हैं।

भूख प्यास से व्याकुल होकर जब पीड़ित उस वन में पहुंचते हैं वे गर्मी से पीड़ित होकर उस वन में घुस जाते हैं पापियों के तलवे अग्नि से जल चुके होते हैं अथवा सामान्य धरती देखकर वह उस वन में इधर-उधर भागने लगते हैं तथा जब वे आराम करने लगते हैं तब उन पर वह कुत्ते आक्रमण कर देते हैं उनके शरीर से मांस को नोच कर निकाल देते हैं उनके शरीर से कुत्ते मास को खंड-खंड करके खा जाते हैं तब कहीं जाकर पापियों को उस नर्क से छुटकारा मिलता हैं।

5)  अप्रतिष्ठ 

इस नर्क में पापियों को अत्यधिक दुख भोगने पड़ते हैं वहां पापियों को प्रताड़ित करने के लिए भूतचक्र लगे होते हैं वह चक्र गोल घूमते रहते हैं और पापियों को उन पर बांधा जाता है जब तक हजारों वर्ष पूरे नहीं होते वह चक्र नहीं रुकते निरंतर घूमते रहते हैं उनके शरीर से रक्त बह कर बाहर निकल जाता है उनकी आते मुख की ओर से बाहर आ जाती है और आंखें आंतों में घुस जाती है इस तरह दुष्ट वहां अत्यंत कष्ट भोंगते हैं।

4)  निकृन्तन 

अन्याय और अत्यधिक पाप करने वाले व्यक्तियों को इस नर्क की सजाएं भोगनी पड़ती है। पापियों को यहां एक गोल चक्र में खड़ा किया जाता है उनके शरीर को सर से लेकर पांव तक नुकीली चीजों से भेदा जाता है उनके शरीर को छिन्न-भिन्न किया जाता है परंतु उनकी मौत नहीं होती उनके शरीर के हिस्से टूट-टूट कर अलग होते हैं और वापस आकर जुड़ जाते हैं। इस प्रकार उनकी मौत नहीं होती उन्हें अत्यधिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है उन पापियों को यमदूत वहां हजारों वर्ष तक चक्कर लगवाते हैं तब कहीं जाकर उन पापियों को उस नर्क से छुटकारा मिलता हैं।

3)  अतिशीत 

यह नर्क भी महारौरव नर्क की तरह विस्तार पूर्वक फैला हुआ है यह नर्क अत्यंत शीतल है इस नर्क में गहरा अंधकार फैला हुआ है।

यमदूत यहां पापियों को लाकर बांध देते हैं यहां अत्यंत शीतल हवाएं चलती है जिससे पापियों के दांतो में कटकटाहट होने लगती है उनका शरीर वहां की ठंड से कांपने लगता है भूख प्यास अधिक लगने लगती है। अत्यंत चलती शीतल हवाओं से उनकी हड्डियां तक टूट जाती है वें भूख प्यास से व्याकुल होने लगते हैं भूख के कारण वें रक्त और गलती हुई हड्डियों को खाने लगते हैं परस्पर भेंट होने पर वह सभी एक दूसरे का आलिंगन कर भ्रमण करते हैं इस प्रकार उन्हें अनेक तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता हैं।

2)  महारौरव 

यह नर्क 5000 योजन तक फैला हुआ है जिसकी सतह तांबे के समान है उसके नीचे अग्नि प्रज्वलित रहती है जिससे की सतह हमेशा गर्म बनी रहती है।

अतः यमदूत इसमें पापियों के हाथ पांव बांधकर उन्हें डाल देते हैं पापी लुढ़कते हुए इस नर्क में आगे बढ़ते हैं साथ ही मार्ग में कौआ, बगुला, भेड़िया, उल्लू, मच्छर और बिच्छू आदि जीव जंतु क्रोध में उन्हें खाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। पापी उस जलती हुई भूमि एवं भयंकर जीव जंतुओं के आक्रमण से पीड़ित हो उठते हैं उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है उन्हें वहां कहीं भी शांति नहीं मिलती इस प्रकार जब उन्हें कष्ट भोंकते-भोंकते हजारों वर्ष पूरे हो जाते हैं तब कहीं जाकर उन्हें वहां उस नर्क से मुक्ति मिलती हैं।

1)  रौरव 

यह नर्क अन्य सभी नरकों की अपेक्षा में प्रधान है। यह नर्क 2000 योजन में फैला हुआ है। इस नर्क में मनुष्य की जांघों तक गड्ढा है जोकि खोलते हुए अंगारों से भरा हुआ है। पापियों को लाकर इस गड्ढे में डाल दिया जाता है। खोलते अंगारों के बीच पापी इसमें पांव उठा उठा कर चलते हैं उनके पांव में छाले पड़ जाते हैं वे फुटकर बहने लगते हैं पापी रात दिन अंगारों में चलते रहते हैं। वह सभी दर्द के मारे इधर-उधर भागने लगते हैं। इस प्रकार जब 1000 योजन का गड्ढा पार कर लेते हैं तब उन्हें अपने कर्मों के अनुसार दूसरे नर्क में भेज दिया जाता।

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