गांधारी का चरित्र चित्रण

गांधारी गांधार देश के राजा सूबल की कन्या व शकुनि की बहन थी। इनका विवाह हस्तिनापुर के अंधे महाराज धृतराष्ट्र से हुआ वह धृतराष्ट्र की पत्नी थीं उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी, ताकि वह अपने अंधे पति के साथ संगठित हो सके। गांधारी एक प्रसिद्ध महाभारत की चरित्र थीं। वह एक बहुत ही शांतिप्रिय और सभ्य महिला थीं। उन्होंने जीवन भर अपनी पति धृतराष्ट्र के साथ संयम और धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने पुत्रों को पाला।

गांधारी के गर्भ से निकला था मांस पिंड, उसी से हुआ था दुर्योधन और उसके 99 भाइयों का जन्म। किसने दिया था गांधारी को 100 पुत्रों का वरदान। गांधारी के सौ पुत्र कैसे हुए।

धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी को महर्षि वेदव्यास ने सौ पुत्रों की माता होने का वरदान दिया तत्पश्चात गांधारी को गर्भ ठहरा लेकिन वह 2 वर्ष तक पेट में ही रुका रहा घबराकर गांधारी ने गर्भ गिरा दिया उसके गर्भ से लोहे के गोले के समान 1 मांस का पिंड निकला गर्भ से गिरे पिंड को देखकर गांधारी रोने लगी

उस समय महर्षि वेदव्यास वहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि इस पिंड को 100 टुकड़ों में काट दो और 100 घड़ों में gee भरकर उनमें बंद करके रख दो इससे सौ पुत्रों का जन्म होगा गांधारी ने उस समय महर्षि से एक पुत्री होने की भी इच्छा जताई इसलिए पिंड को 101 टुकड़ों में काटा गया 9 महीने पूर्ण होने पर उन घड़ों में से सबसे पहले दुर्योधन का जन्म हुआ और उसके बाद अन्य गांधारी पुत्रों एवं एक पुत्री का भी जन्म हुआ जिसका नाम दृश्सला हुआ और इसका विवाह राजा जयदत्त से हुआ।

धृतराष्ट्र ने गांधारी के पूरे परिवार को कारावास में डाल दिया था?

धृतराष्ट्र और गांधारी
धृतराष्ट्र और गांधारी

गांधारी गांधार देश के राजा सूबल की कन्या व शकुनि की बहन थी। इनका विवाह हस्तिनापुर के अंधे महाराज धृतराष्ट्र से हुआ माना जाता है कि गांधारी ने धृतराष्ट्र से विवाह मजबूरी वश किया इसका कारण पितामह भीष्म थे। जिन्होंने बलपूर्वक गांधार की राजकुमारी का विवाह धृतराष्ट्र से करवाया था

माना जाता है कि ज्योतिष के अनुसार गांधारी की कुंडली में दोस था जिसको मिटाने हेतु गांधारी व धृतराष्ट्र के विवाह से पूर्व गांधारी का विवाह एक बकरे से किया गया बाद में उस बकरे की बलि दे दी गई और उनका विवाह धृतराष्ट्र से कर दिया विवाह उपरांत धृतराष्ट्र को गांधारी और बकरे के विवाह के बारे में पता चला तो धृतराष्ट्र ने इस बात को अपमान व धोखे के स्वरूप लिया और गांधारी के पूरे परिवार को कारावास में डाल दिया

गांधारी ने कृष्ण को कौन सा श्राप दिया था?

गांधारी अपने 100 पुत्रों की मृत्यु के शोक में अत्यंत व्याकुल थीं। भगवान श्रीकृष्ण को देखते ही गांधारी ने क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि अगर मैंने भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा की है तथा निस्वार्थ भाव से अपने पति की सेवा की है, तो जैसा मेरा कुल समाप्त हो गया, ऐसे ही तुम्हारा वंश तुम्हारे ही सामने समाप्त होगा और तुम देखते रह जाओगे।भगवान श्रीकृष्ण ने गांधारी से कहा- देवी, मैं आपके दुख को समझ सकता हूं। यदि मेरे वंश के नाश से तुम्हे आत्मशांति मिलती है तो ऐसा ही होगा।

गांधारी का शकुनि को श्राप

shakuni
shakuni
गांधारी अपने 100 पुत्रों की मृत्यु के शोक में अत्यंत व्याकुल थीं।अपने 100 पुत्रों को खोने के बाद गांधारी ने क्रोध में शकुनि को यह शाप दिया था, ‘मेरे 100 पुत्रों को मरवाने वाले गांधार नरेश शकुनि तुम्‍हारे राज्‍य में कभी शांति नहीं रहेगी। अब जब तालिबान ने फिर से अफगानिस्‍तान को अपने कब्‍जे में ले लिया है गांधारी के उस शाप को लेकर एक बार फिर चर्चा आरंभ हो गई है।

कैसे हुई थी धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की मृत्यु?

धृतराष्ट्र
धृतराष्ट्र

महाभारत के इस विध्वंसकारी युद्ध के बाद युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ और शौकग्रस्त अंधा राजा अपनी पत्नी गांधारी भाभी कुंती और भाई विदुर सहित तपस्या के लिए हस्तिनापुर छोड़कर जंगलों में चले गए माना जाता है कि जंगल में आग लगने के कारण उनकी मृत्यु हुई।

QNAs

1. गांधारी कौन थी: महाभारत की कहानी में गांधारी की भूमिका?
गांधारी महाभारत में धृतराष्ट्र की पत्नी थी और धृतराष्ट्र की योग्यता के बावजूद उसकी सौभाग्यवती भावना का पालन करती थी।

2. गांधारी की कहानी: एक पातिव्रत्य और माँ की कहानी?
गांधारी एक पातिव्रत्य स्त्री थी जो अपने पति और परिवार के प्रति अपनी पूरी वफादारी में जानी जाती थी।

3. महाभारत में गांधारी: कैसे बनी अंधी राजमाता?
गांधारी ने अपने पति धृतराष्ट्र के साथ राजमहल में अंधा जीवन बिताया और उनका साथ दिया।

4. गांधारी के पुत्र दुर्योधन: उसके जीवन और किस्मत की कहानी?
गांधारी के पुत्र दुर्योधन महाभारत में महत्वपूर्ण चरित्र थे और उनकी किस्मत महाभारत युद्ध और उनके घमंड के आसपास घूमती थी।

5. गांधारी के क्रोध का महत्व: महाभारत में उनकी बौद्धिकता?
गांधारी के क्रोध का महत्व महाभारत में उनकी बौद्धिकता और आत्म-संवाद के माध्यम से दिखाया गया है, जो उनके आचार-विचार को प्रकट करता है।

6. गांधारी की अंधा पुत्र के प्रति माँ की आस्था?
गांधारी अपने पुत्र दुर्योधन के प्रति एक आदर्श्य माँ के रूप में उपस्थित थी और उनकी आस्था अत्यधिक थी।

7. गांधारी का धर्मपति धृतराष्ट्र: महाभारत में उनका योगदान
गांधारी के धर्मपति धृतराष्ट्र ने उनके साथ साथ उनकी आत्म-संवाद में महाभारत के महत्वपूर्ण उपदानों का योगदान किया।

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