धृष्टद्युम्न | Dhrishtadyumna

धृष्टद्युम्न महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। धृष्टद्युम्न राजा द्रुपद के पुत्र थे इनको राजा द्रुपद ने यज्ञ से प्राप्त किया था और वे द्रौपदी के भाई थे।

धृष्टद्युम्न का जन्म रहस्य?

महाभारत के अनुसार, जब द्रुपद ने कुरु वंश एवं गुरु द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए याज एवं उपयाज नामक मुनियों के द्वारा एक यज्ञ करवाया। उस यज्ञ के सिद्ध होते ही, याज ने उस यज्ञ की अग्नि में आहुति दी। फिर उस प्रज्वलित अग्नि से मुकुट, कुण्डल, कवच, त्रोण तथा धनुष धारण किये हुए एक कुमार प्रकट हुआ। इस कुमार का नाम धृष्टद्युम्न रखा गया। यह एक तेजस्वी वीरपुरुष के रुपो में प्रकट हुआ। अग्नि से बाहेर आते ही, यह गर्जना करता हुआ एक रथ पर जा चढा मानो कही युद्ध के लिये जा रहा हो।

इनके जन्म के बाद उसी यज्ञ से एक बालिका का जन्म जिसका नाम द्रोपदी हुवा जो बाद में पांचाली भी कहलाई यह धृष्टद्युम्न की बहन थी कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, धृष्टद्युम्न पांडवों की ओर से
युद्ध में शामिल हुए और उनके सेनापति के रूप में सेवा की।

धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का वध क्यों किया?

धृष्टद्युम्न
धृष्टद्युम्न ने किया द्रोणाचार्य का वध

द्रोणाचार्य के पिता ऋषि भारद्वाज और द्रुपद के पिता की बहुत अच्छी मित्रता थी द्रुपद अक्सर अपने पिता के साथ आश्रम में आते जाते रहते थे जिससे द्रोणाचार्य और द्रुपद के बीच मित्रता हो गई परंतु राजा बनने के बाद द्रुपद ने द्रोणाचार्य से मित्रता नहीं रखी जिससे द्रोणाचार्य को बुरा लगा तब द्रोणाचार्य पांडू पुत्रों को शिक्षा दिया करते थे शिक्षा पूर्ण होने के बाद गुरु दक्षिणा में द्रोणाचार्य ने द्रुपद को बंदी बनाने को कहा तब सबने मिलकर राजा द्रुपद को बंदी बनाकर द्रोणाचार्य के पास ले गए तब द्रोणाचार्य ने द्रुपद को छोड़ने के बदले द्रुपद से उनका आधा राज्य ले लिया द्रुपद ने इसे अपना अपमान समझा

इस अपमान का बदला लेने के लिए राजा द्रुपद ने यज और उपयाज नामक मुनियों के द्वारा एक यज्ञ करवाया जिससे धृष्टद्युम्न नामक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसने महाभारत युद्ध पांडवों की ओर से युद्ध लड़ा युद्ध में जब यह बात फैल गई कि अश्वत्थामा की मौत हो गई तब द्रोणाचार्य ने अपने शस्त्र त्याग कर यूद्ध भूमि पैर बैठ कर रोने लगे तब धृष्टद्युम्न ने मौका देख द्रोणाचार्य का वध कर दिया

धृष्टद्युम्न को किसने मारा?

धृष्टद्युम्न की मृत्यु के बारे में महाभारत में बताया गया है। युद्ध के पंद्रहवें दिन, अश्वत्थामा, जो कौरवों की ओर से था, उसने ने धृष्टद्युम्न को मार दिया।
इसका कारण था कि धृष्टद्युम्न ने उनके पिता द्रोणाचार्य का वध किया था, और अश्वत्थामा ने अपने पिता के प्रति बदला लेने का संकल्प बनाया था।
अश्वत्थामा ने रात के समय पांडव सेना के मुख्य शिविर में द्रोणाचार्य की मृत्यु की खबर सुनाई और अंधकार के दौरान धृष्टद्युम्न को हत्या की।

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