पाण्डु। Pandu

पाण्डु, महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक थे इन्होने अपने पुरे जीवन काल में धर्म का रास्ता नही छोड़ा और अपनी निति ज्ञान व् योध कोसल से अपनी प्रजा के रक्षा की आइये हम इनके बारे में विस्तार से जानते हे :-

पाण्डु कौन था?

पाण्डु हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य और उनकी दूसरी पत्नी अम्बालिका के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। वे पाण्डवों के आध्यात्मिक पिता और धृतराष्ट्र के छोटे भाई थे जिस समय हस्तिनापुर का सिंहासन सम्भालने के लिए धृतराष्ट्र का राज्य अभिषेक किया जा रहा था तब विदुर ने राजनीति ज्ञान से लगो को समझाया की एक नेत्रहीन व्यक्ति राजा नहीं हो सकता, तब भीष्म पितामह ने पाण्डु को हस्तिनापुर का महाराज घोषित कर उनका राज्य अभिषेक किया।

पांडु की पत्निया व् पुत्र?

महाभारत में राजा पाण्डु की दो पत्नियां थी. एक का नाम था कुंती और दूसरी का माद्री. कुंती शूरसेन की लड़की थी जिन्हे नागवंशी राजा कुन्तिभोज ने उन्हें गोद लिया था इसलीये उनका नाम बाद में कुंती पड़ा।

1. युधिष्ठिर: धर्म के देवता धर्मराज के अंश जो पांडवों के प्रमुख थे और न्याय के प्रतीक माने जाते थे। यह माता कुंती के पुत्र थे?
2. भीमसेन: यह पवन देव के अंश थे भीमसेन पांडवों के वीर योद्धा थे और शारीरिक शक्ति के प्रतीक माने जाते थे। यह माता कुंती के पुत्र थे?

3. अर्जुन: यह देवराज इंद्रा के अंश थे जो महाभारत के मुख्य योद्धा थे और धनुर्विद्या के प्रतीक माने जाते थे। यह माता कुंती के पुत्र थे?
4. नकुल: यह अश्विनी कुमार के अंश थे जो धार्मिकता, योद्धा कुशलता, और बहादुरी के प्रतीक माने जाते हैं। यह माता माद्री के पुत्र थे?
5. सहदेव: यह भी अश्विनी कुमार के अंश थे जो धार्मिकता, योद्धा कुशलता, और बहादुरी के प्रतीक माने जाते हैं। यह माता माद्री के पुत्र थे?

पाण्डु के पुत्र ने खाया उनका मृत शरीर?

सहदेव के धर्म पिता पांडू बहुत ही ज्ञानी थे। उन्होंने यह ज्ञान कई वर्षों की तपस्या करके प्राप्त किया था। वह चाहते थे कि यह ज्ञान वह अपने पांचों पुत्रों को दें इसीलिए उन्होंने मरने से पहले अपनी आखरी इच्छा बताई थी। कि उनके पांचों पुत्र उनके मृत शरीर को खाएं ताकि उन्होने जो ज्ञान अर्जित किया है वह उनके पुत्रों में चला जाए

सिर्फ सहदेव ने ही हिम्मत कर अपने पिता के शरीर का एक टुकड़ा खाया जिससे उन्हें भूत-भविष्य और वर्तमान जानने की शक्ति प्राप्त हुई माना जाता है कि महाभारत का युद्ध होने से पहले ही सहदेव को जीत और हार का पता चल गया था लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें महाभारत में होने वाली किसी भी घटना के बारे में बताने से मना किया था।

पाण्डु की मृत्यू कैसे हुईं?

पांडु की मृत्यु महाभारत के कथानुसार एक दुःखद घटना थी। पांडु अपनी पत्नी कुन्ती के साथ वनवास में रह रहे थे। वहां उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दिखाई दिया । पांडु ने अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुए मार्गरूपी निर्दोष ऋषि ने पांडु को शाप दिया की तूने मुझे मैथुन के समय बाण मारा है अत: जब कभी भी तू उस परिस्थति में होगा, तेरी मृत्यु हो जाएगी।

एक दिन राजा पांडु माद्री के साथ वन में सरिता नदी के पास घूम रहे थे। वातावरण अत्यंत रमणीक था सहसा वायु के झोंके से माद्री का वस्त्र उड़ गया। इससे उनका मन भटका वे मैथुन में प्रवृत्त हुए ही थे कि श्रापवश उनकी मृत्यु हो गई।

महाराज पाण्डु की मृत्यू के समय उनके पुत्र बहुत छोटे थे जिस कारण भीष्म पितामह ने उनके बड़े भाई अंधे धतराष्ट्र को हस्तिनापुरक राजा बनाया गया और उनके पुत्र दुर्योधन हस्तिनापुर के राजकुमार बने जो बाद में महाभारत योध का कारण बने और पाण्डु पुत्रो के दुवारा मारे गए।

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