मृत्यु के पश्चात नर्क में दी जाने वाली सजाएं | गरुड़ पुराण के अनुसार नर्क में दी जाने वाली सजाएं | narak ki yatnaye

गरुड़ पुराण में मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार अनेक प्रकार की सजाओ का उल्लेख किया गया है मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार भिन्न-भिन्न नरको में जाकर गिरता है अपनी सजा का समय समाप्त होने के पश्चात वह अपने कर्मों के आधार पर दूसरे नरको में जाता है इस तरह जब वह अपने सभी पापों का दंड भोग लेता है तब कहीं जाकर उसे मुक्ति मिलती है

नर्क हजारों प्रकार के हैं एवं सभी के बारे में बताना संभव नहीं है इसीलिए उनमें से कुछ खास नरको के बारे में हम आपको बताने जा रहे।

कुंभीपाकम

कर्म:     जो लोग अपने मज़े के लिए पशु पक्षियों का शिकार करते हे एवं उनकी हत्या करते है उन लोगो को इस नरक में भेजा जाता है।

दण्ड:    इस नरक में उन्हें खोलते हुए तेल में तला जाता है।

 

वज्रकंडक

कर्म:     जानवरो, मनुष्यो और अनजान लोगो से योन संबंध बनाने वाले व्यक्तियों को इस नरक में भेजा जाता है।

दण्ड:    इस नरक में उन्हें आग से जलती हुई मूर्तियों को गले लगाना होता है जिसपर तेज़ नुकीली सुईया होती है जो उनके शरीर को छेड़ देती है।

 

तामिस्र

कर्म:     यह सजा उन लोगों को मिलती है जो दूसरों की संपत्ति चोरी करते हैं या उसे लूटते हैं।

दण्ड:    इस नरक में पापियों को लोहे की छड़ी आदियों से पीटा जाता है उसे तब तक पीटा जाता है जब तक कि उसका खून शरीर के बाहर नहीं निकल जाता।

 

अन्धामित्रम

कर्म:     जो शादीशुदा दंपत्ति अपने रिश्ते को ईमानदारी से नहीं निभाते और एक दूसरे को धोखा देते हैं वह इस सजा के भागीदार बनते हैं।

दण्ड:    इस नरक में तामिस्र की तरह ही यमदूत पापी पर रस्सियों से कोड़े तब तक बरसाते है जब तक कि उनका मांस शरीर के बाहर नहीं आ जाता।

 

राउरवम

कर्म:     जो व्यक्ति दूसरी की संपत्ति का आनंद लेते हैं उसे इसकी सजा दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में सांप व्यक्ति पर हमला करते हैं एवं उसे तब तक काटते रहते हैं जब तक कि उसकी सजा पूर्ण नहीं हो जाती।

 

महाररुरवं

कर्म:     किसी की संपत्ति नष्ट करना, किसी की संपत्ति पर अवैध कब्जा करना, दूसरे का अधिकार छीनने वाला ।

दण्ड:    इस नरक में व्यक्ति को जहरीले सांपों से कटवाया जाता है।

 

कालसूत्रम

कर्म:     जो लोग अपने माता पिता का अपमान एवं दूरव्यवहार करते हैं उन्हें इस नर्क में सजा दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में व्यक्ति को गर्म और तपती जमीन पर दौड़ाया जाता है और इनके साथ भी वही सलूक किया जाता है जो इन्होंने अपने बुजुर्गों के साथ किया था।

 

असितपात्र

कर्म:     अपने कर्तव्यों का त्याग करने वाले, भगवान के आदेश ना मानने वाले, धर्म प्रथाओं का उल्लंघन करने वालों।

दण्ड:    असिपत्र के बने चाबुकों से उन्हें तब तक मारा जाता है जब तक कि वह बेहोश ना हो जाए।

 

सुकरममुखम

कर्म:     कर्तव्यों का त्याग करना, कुशासन द्वारा अपने ही लोगों को सताना, निर्दोष लोगों पर अत्याचार करना।

दण्ड:    इस नरक में अपराधियों को बड़े जानवरों के पैरों से कुचल कर तड़पाया जाता है।

 

अंधकुपाम

कर्म:     संसाधन होने के बावजूद लोगों की मदद ना करना, अच्छे लोगों पर अत्याचार करना।

दण्ड:    इस नरक में पापियों को जंगली जानवरों के बीच छोड़ दिया जाता है यमदूत पापियों को एक गड्ढे में फेंक देते हैं जिसमें शेर भेड़िए आदि जंगली जानवर उन्हें नोचकर खा जाते हैं।

 

अग्नीकुण्डम

कर्म:     बलपूर्वक किसी की संपत्ति छीनने वाले, सोने और जवाहरात की चोरी करने वाले, अनुचित फायदा उठाने वाले आदि को इस नरक में यातनाएँ दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में पापियों को हाथ-पांव बांधकर अग्नि के ऊपर उल्टा लटका कर जलाया जाता है।

 

कृमिभोजनम

कर्म:     मेहमानों का अपमान करना, अपने फायदे के लिए दूसरों का इस्तेमाल करना।

दण्ड:    इस नरक में पापियों को कीड़ों और जहरीले सांपों के बीच छोड़ दिया जाता है एवं तब तक तड़पाया जाता है जब तक कि उनकी सजा की अवधि पूरी नहीं हो जाती।

 

सलमाली

कर्म:     वह व्यक्ति जो कामुखता के साथ अनैतिक संबंध बनाता हो इस नरक में जाता है ।

दण्ड:    इस नरक में लोहे की गदा को गर्म करके पापियों के जननांगों पर लगाया जाता है।

 

वैतारानी

कर्म:     अपनी शक्तियों का अनुचित लाभ उठाना, धर्म के खिलाफ कार्य करना।

दण्ड:    इस नरक में इंसान की सारी गन्दगियाँ जैसे की मस्तिक्ष, रक्त, बाल, हड्डियां, नाखून, और मांस से भरी नदी में व्यक्ति को डुबाया जाता है इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के जानवर उस पर हमला करते हैं।

 

पुयोडाकम

कर्म:     जो पुरुष स्त्री के साथ संभोग करता है परंतु शादी नहीं करता और संभोग के दौरान उस पर जानवरों की तरह अत्याचार करता है उसे इस नरक लोक में सजा दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में उस पापी को रक्त, मूत्र, बलगम, जहरीले कीड़ों आदि से भरे एक कुएं में फेंक दिया जाता है।

 

प्राणरोधम

कर्म:     भोजन के लिए जानवरों को तड़पाने वाले और उन्हें मारने वालों को यह सजा दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में व्यक्ति के शरीर की हिस्सों को काटकर उन्हें तीरों से भेदा जाता है।

 

विसासमान

कर्म:     अमीर लोगों के द्वारा गरीबों का शोषण करना और जरूरतमंदों की मदद ना करना।

दण्ड:    इस नरक में व्यक्तियों को डंडों से लगातार पीटा जाता है जब तक कि उनकी सजा पूरी नहीं हो जाती।

 

लालभक्षम

कर्म:     जो भी लालसा युक्त पुरुष या पत्नी अपने जीवनसाथी पर अत्याचार करता हो या फिर अनुवांशिक संभोग करता हो संभोग के समय यदि वह जबरदस्ती जननांग तरल को निगलने को कहता हो इस नर्क में भेजा जाता है।

दण्ड:    इस नरक में ऐसे पापियों को वीर्य की नदी में फेंक दिया जाता है एवं वीर्य पिलाया जाता है।

 

सरमेस्यनम

कर्म:     भोजन में विष मिलाना, सामूहिक वध करना, देश को बर्बाद करना, घरों को लूटना, कष्ट देना, नरसंहार करना आदि लोगों को इस नर्क कि सजा दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में अपराधियों पर हजारों कुत्तों से हमला करवाया जाता है जो कि उसका मांस नोच-नोच कर खा जाते हैं।

 

अविची

कर्म:     झूठी गवाही देने वाले, झूठे सबूत देने वाले।

दण्ड:    इस नरक में पापीयों को जीवित अवस्था में ही अपने शरीर के साथ ऊंचाई से फेंका दिया जाता है या फिर उसे मिट्टी में दबा दिया जाता है।

 

आयुम्नाम

कर्म:     शराब एवं अन्य नशीले पदार्थ का सेवन करना।

दण्ड:    इस नरक में महिलाओं को पिघला हुआ लोहा एवं पुरुषों को पिघला हुआ लावा पिलाया जाता है ।

 

रक्षोबजम

कर्म:     इंसानो एवं जानवरों को मारना या फिर उसका मांस खाना।

दण्ड:    इस नरक में व्यक्ति पर वे सारे जीव हमला करते हैं जो उसने अपनी पूरी जिंदगी में मारे हैं।

 

सुलैप्रोतम

कर्म:     दूसरों को धोखा देकर उनका नुकसान करना, निर्दोष लोगों की हत्या करना, आत्महत्या करना और किसी व्यक्ति को विश्वास दिलाकर धोखा देना ।

दण्ड:    इस नरक में दोषियों को भूख प्यास से तड़पाया जाता है एवं पक्षियों की चोंच से बने हुए त्रिशूलो से उसे प्रताड़ित किया जाता है।

 

क्षारकर्मम

कर्म:     भोले- भाले लोगों का अपमान करना, बुरी गतिविधियों में शामिल होना, बुजुर्गों को बदनाम या उनका अपमान करना, स्वार्थी होना।

दण्ड:    इस नरक में दोषियों को उल्टा लटका कर बुरी आत्माओं के द्वारा यातनाएं दी जाती है।

 

दंडसूम

कर्म:     दूसरों पर जानवरों की तरह अत्याचार करना।

दण्ड:    इस नरक में पापियों को भिन्न प्रकार के जानवर जिंदा खा जाते हैं।

 

वाटररोधम

कर्म:     जंगल, पर्वतों एवं पेड़ों पर रहने वाले जानवरों को सताने वाले।

दण्ड:    इस नरक में जाने वाले पापियों को हथकड़ी बांधकर आग, ज़हर और विभिन्न तरह के हथियारों से प्रताड़ित करके यातनाएं दी जाती है।

 

पक्षवर्तणकम

कर्म:     भूखे व्यक्तियों को भोजन ना देना, बुरा व्यवहार करने वाले।

दण्ड:    इस नरक में पापियों की आँखे पक्षीओ द्वारा नोचि जाती है जिससे वह अंधे होकर दर्द में कराहते हुए इधर-उधर भागने लगते हैं।

सूचिमुखम

कर्म:     चोरी करना, चोरी के पैसों को जमा करना और कालाबाजारी करने वालो को यह सजा दी जाती है।

दण्ड:    इस नरक में दोषियों के शरीर पर नाखून, सुई और नुकीले चीजों से प्रहार किया जाता है साथ ही उन्हें भूखा प्यासा रख कर भिन्न-भिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाती है।

Leave a Comment