हिन्दू महाकाव्य महाभारत में उल्लेखित राजा परीक्षित यूदिष्ठिर के बाद हस्तिनापुर के शासक बने उस समय द्वापर युग समाप्त हो रहा था और कलियुग प्रवेश कर रहा था इसिलए इन्हे कलयुग का प्रथम शासक भी कहा जता हे परीक्षित महाभारत के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं। वे कुरु वंश के एक राजा थे और अर्जुन के पोते, अभिमनयू के पुत्र और पांडवों के पीछे आने वाले पीढ़ी के प्रतिष्ठित सदस्य थे।
परीक्षित की कथा महाभारत के युद्ध के बाद की घटनाओं पर केंद्रित है। महाभारत युद्ध के दौरान परीक्षित का जन्म हुआ था, और वे अपने पिता के पास युद्धभूमि पर रखे गए थे। परीक्षित धर्मराज युधिष्ठिर के अधीन न्यायप्रिय राजा बने और उन्होंने अपने राज्य को न्यायपूर्ण और धार्मिक ढंग से संचालित किया। उन्होंने यात्रा पर निकलते हुए महर्षि शुकदेव से भगवान विष्णु की कथाएं सुनी और उनके उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लिया।
राजा परीक्षित के जन्म का रहस्य ?
परीक्षित उत्तरा और अभिमन्यु के पुत्र थे व् अर्जुन के पोते थे महाभारत योध के दौरान ये अपनी माता उत्तरा के गर्भ में थे योध के दौरान इनके पिता की भी मृत्यू हो गई थी और योध के दौरान अश्वथामा ने उत्तर के गर्भ पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की स्वयं रक्षा की।
महाभारत योध के बाद जब इनका जन्म हुवा तब इनपर ब्रह्मास्त्र का प्रभाव था जो भी इनको अपनी गोद में उठता वो उदास हो जाता तब श्री कृष्ण ने उनको अपनी गोद में उठाया तब इनपर से ब्रह्मास्त्र का प्रभाव पूर्ण रूप से ख़त्म हुवा जिसके पश्चात कुछ बाद श्री कृष्ण के कहे अनुशार वह ऋषियो के यात्रा पर निकल गए निकलते हुए महर्षि शुकदेव से भगवान विष्णु की कथाएं सुनी और उनके उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लिया।
पत्नी व् पुत्र?
परीक्षित का विवाह उत्तर के राजा की बेटी इरावती से हुआ। इरावती और परीक्षित के चार बेटे हुए जिनमें एक जनमेजय था। जो राजा परीक्षित की मृत्यू के बाद राजा बने तक्षक नाग से अपने पिता के मृत्यू हेने पर जनमेजय ने विश्व के सभी सर्पो को मरने के लिए नागदाह यज्ञ करवाया था
राजा परीक्षित की मृत्यू कैसे हुईं?
राजा परीक्षित की मृत्यू तक्षक नाग के द्वारा हुई परीक्षित जब राजा बने तब कलयुग प्राम्भ ही हुवा था एक दिन भ्रमण करते समय रस्ते में उन्हें एक आदमी दिखा जो डंडे से गाई और बेल को मार रहा था परीक्षित ने उससे पूछा के तुम इन्हे क्यों मार रहे हो किन्तु उसने कोई जवाब नही दिया राजा परीक्षित भोत ही ज्ञानी थे वो समझ गए की कामधेनु गाई पृथिवी हे , बेल धर्म का स्वरूप और आदमी कलयुग हे
परीक्षित कलयुग को देख कर कोर्धित हो गए और बोले तुम मेरे राज्य से चीले जावो नही तो में तुम्हारा वध कर दूगा परीक्षित के बात सुनकर कलयुग घबरा कर महाराज के चरनों में गिर गया और कहा महाराज मुझे क्षमा कर दीजिये आपका राज्य तो पुरे विश्व में हे तो में कहा जाउगा
परीक्षित ने कलयुग को क्षमा कर शराब जुवा और क्रोध ये तीन स्थान दिए तब कलयुग बोलै महाराज ये जगह काम हे मेरे निवास के लिए तब राजा ने सवर्ण में भी निवास करो ऐसा बोल दिया तब कलयुग वह से चला गया राजा परीक्षित भी भमण के लिए आगे चले गए किन्तु उनको ये नही पता था की उन्होंने भी सोने का मुकुट पहन रखा हे कलयुग छोटे रूप में आकर उनके सिर पर बैठ गया कुछ समय के बाद राजा को प्यास लगी पास में ही महर्षि શमिक का आश्रम था वहा पहुंचकर पानी मांगा पर कोई नही अये पास में महर्षि શमिक तपस्या कर रहे थे
कलयुग ने अपना काम किया और राजा के बुद्धि पलट दी और राजा ने महर्षि શमिक के गले मे मरे साँप की माला पहना दी इस कारण महर्षि के पुत्र महर्षि शृंगी ने श्राप दिया कि राजा की मृत्यु सातवें दिन तक्षक के काटने से होगी जब राजा को यह बात पता चली तो राजा ने अपने पुत्र जनमेजय को राजा बना दिया और सात दिनों तक श्रीमद भगवत पुराण सुनी सातवे दिन तक्षक नाग के काटने से उनकी मृत्यु हो गई