रावण का इतिहास:Ravan

रावण, हिंदू पौराणिक कथाओं में विख्यात राक्षस राजा है। वह लंका के शासक थे और उनकी शक्ति और बल का वर्णन महाकाव्य रामायण में किया गया है। रावण की कथा में विभिन्न पहलुओं और कार्यों का वर्णन है, जिनमें उनका अहंकार, बल प्रदर्शन, धर्म प्रतिपादन, और अपनी पराधीनता के कारण उनकी नाश की कहानी शामिल है। रावण का अंत भगवान राम द्वारा लंका पर चढ़ाई करके हुआ, जहां उन्होंने रावण को वध किया और सीता को बचाया। इससे पहले उन्होंने विभीषण को अपनी ओर खींचा और उन्हें लंका का नया राजा नियुक्त किया। रावण विनाश का प्रतीक माना जाता है और उनकी कथा धर्म, न्याय और उदारता के अनुसार एक मोरल उपदेश भी देती है।

रावण संहिता

रावण संहिता एक प्राचीन ग्रंथ है जो हिंदू तंत्र शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह ग्रंथ रावण के नाम पर संबंधित है और इसे रावण द्वारा रचित माना जाता है। रावण संहिता में विभिन्न तंत्रिक विधियों, मंत्रों, यंत्रों और उपायों के बारे में ज्ञान दिया गया है।

इस संहिता में विशेष रूप से मात्राविद्या (मन्त्र शक्ति के द्वारा निरंतर मनन करने का विज्ञान) और अलौकिक शक्तियों के साधनों का विवरण है। यह ग्रंथ तंत्र और मंत्र शास्त्र के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और विभिन्न उपायों द्वारा शक्तिप्राप्ति, वशीकरण, रोग निवारण, वास्तु दोष निवारण आदि की विधियों के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।

रावण वध

रावण वध वाल्मीकि रामायण की महत्वपूर्ण घटना है जो भारतीय मिथोलॉजी में प्रसिद्ध है। इस घटना के अनुसार, भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को मार दिया। रावण ने माता सीता को अपहरण किया था और उसे लंका में बंधी बना लिया था। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान ने लंका पर हमला करके रावण को पराजित किया। राम और रावण के बीच हुए युद्ध में राम ने रावण का वध केर दिया। रावण वध के बाद, राम ने अपनी पत्नी सीता को लंका से छुड़ाया और उन्हें अयोध्या लौटकर राजगद्दी संभाली।

रावण के 10 नाम

दशानन
दशकन्धर
रावण
लंकेश्वर
महाबली
महापापी
महाराक्षस
शिवभक्त
दसानन्द
ब्रामण

रावण का गांव

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा से करीबन 15 किमी दूर बसा बिसरख गांव है, जिसे रावण के गांव के रूप में जाना जाता है रावण की मुख्य निवासस्थान लंका नगरी थी, जो कि उसकी राजधानी थी। लंका नगरी वर्तमान दिवेलीपुरम, श्रीलंका में स्थित है। यह जानकारी पुराणों और लोक कथाओं के आधार पर प्रस्तुत की गई है।

रावण दहन

रावण दहन भारतीय हिंदू परंपरा में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व दशहरा के दिन मनाया जाता है, जो हिंदी माह अश्विन के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को पड़ता है। दशहरा भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला हिंदू पर्व है जिसे रावण दहन के रूप में मनाने की परंपरा है। असत्य पैर सत्य की जीत के रूप में भी माना जाता है

रावण दहन के अवसर पर, लोग रावण के मूर्तियों को तैयार करते हैं, जिन्हें दशहरे के दिन आग में जलाया जाता है। यह परंपरा भगवान राम के द्वारा राक्षस रावण का वध करने के बाद शुरू हुई थी। यह पर्व रावण के अधिकार, अहंकार और बुराई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

रावण दहन का आयोजन शोभायात्रा, रामलीला और अन्य कलाकारीक आयोजनों के साथ संभव होता है। लोग रामलीला में रामायण की कथा को प्रस्तुत करते हैं और रावण के प्रतिमा के साथ लोग भी नाटकीय रूप से लड़ते हैं। इसके बाद रावण की मूर्तियों को जलाकर रावण दहन कर दिया जाता

राम रावण युद्ध

राम रावण युद्ध भारतीय एपिक महाकाव्य “रामायण” का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह युद्ध भगवान राम और राक्षस राजा रावण के बीच हुआ था।

राम रावण युद्ध की कथा रामायण में विस्तार से वर्णित है। रामायण कहती है कि रावण लंका के राजा थे और उन्होंने भगवान राम की पत्नी सीता को अपहरण कर लिया था। रावण का यह कृत्य राम को बहुत रोषित करता है और उन्हें अपनी पत्नी को वापस लाने का निर्णय लेना पड़ता है।

राम और उनके भक्त हनुमान के सहयोग से एक बड़ी सेना का निर्माण किया जाता है और वे लंका की ओर अग्रसर होते हैं। युद्ध के दौरान राम और रावण के बीच भयंकर लड़ाई होती है, जिसमें रावण के पुत्र मेघनाद भी शामिल होता है।

अंततः, भगवान राम धर्म के प्रतीक के रूप में रावण का वध करते हैं और सीता को स्वतंत्रता से छुड़ाते हैं। इस युद्ध के बाद, राम अपनी अयोध्या की गद्दी पर वापस लौटते हैं

रावण कितने भाई थे

रावण के रामायण में वर्णित रूप से तीन भाई थे। उनके नाम विभीषण, खर, दूषणऔर कुम्भकर्ण थे।

1. विभीषण रावण का छोटा भाई था। विभीषण धर्मप्रिय और सत्यनिष्ठ था। वह रावण के अनुयायी नहीं था और उसने रावण के अत्याचारों के खिलाफ विरोध किया। युद्ध के समय, विभीषण राम की सेना में जाकर उनका समर्थन करता है और उन्हें रावण के अधिकार से मुक्त कराने में मदद करता है। राम ने विभीषण को रावण के बुराईयों से अलग मानकर उसे लंका का राजा बनाया।

2. खर रावण का एक और भाई था। वह एक दुर्योधन समान और दुष्ट राक्षस था। खर रावण के साथ रहकर उसके आदेशों का पालन करता था। खर ने भी राम के विरुद्ध लंका की ओर आक्रमण किया, लेकिन उसकी सेना राम और लक्ष्मण द्वारा मारी गई।

3. दूषण भी रावण का भाई था। वह भी दुष्ट राक्षस था और रावण के आदेशों का पालन करता था। राम के द्वारा भी दूषण को मारा गया। दूषण रावण के प्रमुख सेनापति के रूप में जाना जाता था और राम के द्वारा उसकी सेना को नष्ट कर दिया गया।

4. कुम्भकर्ण, राक्षस राजा रावण का भाई था और रामायण में महत्वपूर्ण चरित्रों में से एक है। वह एक विशालकाय राक्षस था जिसकी निद्रा (शयन) का प्रसंग बहुत प्रसिद्ध है।

कुम्भकर्ण विशेष रूप से शक्तिशाली और अनुपम सेनापति था। वह रावण के समर्थकों में से एक था और उनकी सेना का मुख्य आधारभूत ताकतवर सैनिक माना जाता था। हालांकि, कुम्भकर्ण धर्मप्रिय था और वह जानता था कि रावण के द्वारा जो अन्याय हो रहा है, वह गलत है। वह बार-बार रावण को समझाने की कोशिश करता था, लेकिन रावण उसकी सलाह को नजरअंदाज करता था। अंत में भगवन राम के द्वारा कुम्भकर्ण की मृत्यु की गई।

दीपावली क्यों मनाई जाती है| दीपावली क्यों मनाया जाता है| दीपावली क्यों मनाते हैं

भगवान राम धर्म के प्रतीक के रूप में रावण का वध करते हैं और सीता को स्वतंत्रता से छुड़ाते हैं। इस युद्ध के बाद, राम अपनी अयोध्या की गद्दी पर वापस लौटते हैं रावण के वध के बाद, राम अपने अयोध्या नगर में वापसी करते हैं और उन्हें लोग बहुत धूमधाम से स्वागत करते हैं। उन्हें अयोध्या में भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है

राम के विजय के अवसर पर, अयोध्या नगर में आनंद और उल्लास का माहौल होता है। लोग धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जैसे कि प्रकाश पथ, नाच-गान, रंगबिरंगे मेले और फेरियों का आयोजन किया जाता है। भजन, कीर्तन और प्रशंसा के गीत भी गाए जाते हैं, जो राम की महिमा का गान करते हैं। इस अवसर पर लोग आपस में मिलकर खुशी और उत्साह का अनुभव करते हैं और राम की विजय पर आपसी बधाईयों का आदान-प्रदान करते हैं।

राम के विजय का उत्सव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि रामायण में उनकी वापसी के दिन अयोध्या नगर में दीपावली के रूप में उत्सव मनाया जाता है। राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान ने अयोध्या में प्रवेश किया था, जिसे लोगों ने बड़े धूमधाम से स्वागत किया।

दीपावली उत्सव का मतलब होता है “दीपों की पंक्ति” या “दीपों का मेला”। इस अवसर पर, लोग अपने घरों और सड़कों को दीपों से सजाते हैं। गलियों, मोहल्लों और नगर के सभी स्थानों पर रंगबिरंगे दीप जलाए जाते हैं। इसके अलावा, रंगों से सजी शानदार दीपक और फूलों से सजी रंगोली बनाई जाती है।

दीपावली के दिन, लोग धार्मिक पूजा-अर्चना करते हैं और आपस में शुभकामनाएं व्यक्त करते हैं। यह एक बड़ा पर्व है जिसे परिवार और दोस्तों के साथ खुशी के साथ मनाया जाता है।

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