सुग्रीव,बाली और अंगद की कहानी

सुग्रीव कौन था

सुग्रीव एक प्रमुख चरित्र है जो हिंदू पौराणिक महाकाव्य “रामायण” में प्रकट होता है। वह वानर जाति का एक राजा था और भगवान राम के श्रीमान हनुमान जी के बंधु थे। सुग्रीव ने अपने भाई वाली द्वारा अपहृत किये गए उनके राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवान राम की मदद मांगी थी।

इसके बाद, भगवान राम ने हनुमान जी की सहायता से सुग्रीव के साथ मिलकर वानर सेना के सहयोग से वाली के वध कर दिया और सुग्रीव को उसका राज्य वापस मिल गया। सुग्रीव ने उसके बाद भगवान राम के लिए वानर सेना के साथ अपना समर्थन प्रदान किया और उन्हें लंका के युद्ध में सहायता दी। उन्होंने भगवान राम के प्रति वफादारी और समर्पण का प्रतीक बना दिया। सुग्रीव और हनुमान की कथाएँ हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रंथों और लोककथाओं में महत्वपूर्ण हैं और उन्हें वानर जाति के प्रतीक के रूप में स्तुति गई है।

बाली कौन था

बाली भी एक प्रमुख चरित्र है जो हिंदू पौराणिक महाकाव्य “रामायण” में प्रकट होता है। वह वानर जाति का एक राजा था और सुग्रीव का भाई था। बाली वानर सम्राट था और इनका राज्य किश्किंधा था।

बाली बहुत ही बलशाली और दुर्दैवी था। उन्होंने अपने बल के आधिकारिक प्रयोग करके अपने भाई सुग्रीव के राज्य को हड़प लिया था। सुग्रीव को अपने पत्नी रुमा के साथ वन में निर्वासित कर दिया गया था।

बाली का विरोध करने के लिए और सुग्रीव को मदद करने के लिए, भगवान राम ने हनुमान जी के सहयोग से सुग्रीव के पास जाकर उन्हें अपनी समस्या बताई और उन्हें वाली के वध करने के लिए बदला लेने का वचन दिया।

बलि को था एक वरदान था की वो जिस किसी से भी यूद्ध करेगा उसकी आधी सकती बलि के पास आ जाती थी , जिसके कारण उन्हें अस्त्र-शस्त्र में अपार शक्ति प्राप्त हुई थी। यह वरदान उन्हें अद्वितीय और अद्वितीय बनाता था, जिससे उन्हें युद्ध क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावी बनाता था।

इस वरदान के कारण बाली ने अपनी शक्ति और वीरता का उपयोग करके अपनी सेना के साथ कई विजय प्राप्त की थीं। हालांकि, यह वरदान उन्हें अनंत प्रतिशोध की भावना और अधिकार के अभिमान में डूबने का भी कारण बन गया था। यही कारण था कि बाली के चरित्र में अन्तर्निहित दोषों ने उनके अच्छे गुणों को छिपा दिया था।

भगवान राम और हनुमान जी की सहायता से, सुग्रीव और बाली के बीच एक महायुद्ध हुआ, जिसमें भगवान राम ने एक तीर से बाली को मार दिया। बाली अपने जीवन के अंतिम क्षण में अपने दोनों भाइयों, सुग्रीव और अंगद को माफी मांगते हुए अपनी मृत्यु के अंतिम क्षण में बाली ने सुग्रीव और अंगद से माफी मांगी।

उन्होंने उनसे कहा कि वह अपने बल का दुरुपयोग करने के कारण दोनों को दुख पहुंचाया था। उन्होंने अपने पापों को स्वीकार करते हुए उन्हें क्षमा मांगी और उन्हें राज्य और सुग्रीव की सहायता करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद बाली ने अपनी प्राण त्याग दी और उनका आत्मा शांति प्राप्त की।

अंगद की कहानी

अंगद भी हिंदू पौराणिक महाकाव्य “रामायण” में एक महत्वपूर्ण चरित्र है। वह वानर जाति के राजा सुग्रीव और उनकी पत्नी तारा के पुत्र थे। अंगद की कहानी उनके पिता सुग्रीव द्वारा हुई गलती के कारण रामायण में आती है। सुग्रीव और बाली के बीच हुए युद्ध में, भगवान राम ने बाली को एक तीर से मार दिया। बाली की मृत्यु के बाद, भगवान राम ने सुग्रीव को किश्किंधा का राजा बनाया और सुग्रीव ने उन्हें अपने पुत्र अंगद को भी राजकुमार घोषित किया।

अंगद को अपने पिता सुग्रीव का धर्मपुत्र माना गया था। वह भगवान राम के साथ मित्रता और सेवा में विश्वास करता था। भगवान राम के साथ उनकी समर्थन करने के लिए अंगद ने वानर सेना के साथ भगवान राम के लिए लंका युद्ध में भाग लिया। उनकी वीरता, साहस और धैर्य के कारण, अंगद को रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्री के रूप में दर्शाया गया है।

यह बात भगवान राम और उनकी सेना के साथ लंका युद्ध में अंगद की महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन करती है। उन्होंने अपने वीरता, बलवानता और धैर्य के माध्यम से अपने दुश्मनों को परास्त कर लिया। यह उक्ति उनकी वीरता और निडरता का प्रतीक है जिसने उन्हें एक महान सेनानी के रूप में प्रसिद्ध किया।

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