वाल्मीकि रामायण के अनुसार, दशरथ अयोध्या के राजा आजनबहु के पुत्र थे और उनकी माता का नाम श्रद्धा था। दशरथ का जन्म मिथिला नगरी में हुआ था, जहां उनके पिता आजनबहु मिथिला के राजा थे।दशरथ एक महान योद्धा और धर्मप्रिय राजा के रूप में प्रसिद्ध थे। वे अपनी धर्मनिष्ठा और न्यायप्रियता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने शासनकाल में बहुत सारे यज्ञ और तपस्या किए, जिनसे उन्हें देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं:
1. कौसल्या रानी राजा दशरथ की प्रमुख पत्नी थीं और उनके पुत्र श्रीराम की माता थीं।
2. कैकेयी रानी राजा दशरथ की दूसरी पत्नी थीं। और उनके पुत्र भारत की माता थी उन्होंने अपनी आदेश प्राप्त करने के लिए राजा दशरथ से राम को वनवास भेजने की मांग की थी।
3. दशरथ की तीसरी पत्नी का नाम सुमित्रा था और पुत्र वो लक्ष्मण और शत्रुघ्न की माता थीं।
दशरथ ने अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण संदर्भ में राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया था। यह घटना दशरथ के द्वारा लिया गया प्रशिक्षणित वचन (पितृवचन) था, जिसे उन्होंने अपनी पत्नी कैकेयी के द्वारा माँगा था। कैकेयी ने उनसे यह वचन मांगा था कि राम को अयोध्या से 14 वर्षों के लिए वनवास भेजा जाएं और उसके बजाय उनके पुत्र भरत को राज्य संभालने का अधिकार मिले।
दशरथ ने इस प्रस्ताव को मान्य किया और दुःख भरे मन से राम को वनवास भेजने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद, राम, सीता, और लक्ष्मण ने अपने अनुसरण में अयोध्या छोड़ दी और वन में निवास किया। यह घटना रामायण की कथा का मुख्य घटनाक्रम है, जिसे अयोध्याकाण्ड के प्रारंभिक अध्यायों में विस्तार से वर्णित किया गया है।
राम के वनवास जाने के बाद दशरथ का हृदय व्यथित हो गया। उन्हें राम की विदाई और उसके वनवास के प्रतीक के रूप में बहुत दुख हुआ। वह राम के पीछे जाने का निर्णय लेने की कोशिश की, लेकिन कैकेयी द्वारा मांगे गए वरदान के कारण वह नहीं कर सके। दशरथ ने अपनी पत्नी कौसल्या के साथ राम के पीछे निकलने के लिए वानप्रस्थ यात्रा भी की, लेकिन राम ने उन्हें वापस लौटने का आदेश दिया और अपने वनवास में चले गए।
दशरथ ने राम के वनवास में उसकी रक्षा की प्रार्थना की और उसकी शीघ्र वापसी के लिए प्रतीक्षा की। दशरथ की तबीयत दिन प्रतिदिन खराब होती गई और उत्तरायण के बाद, उन्हें अपने शरीर को छोड़ना पड़ा। इसके पश्चात उनके पुत्र भरत ने राज्य संभाला और राम के पास जाकर उनकी मृत्यु की सूचना दी।यह घटनाक्रम रामायण में विस्तार से वर्णित है
कौशल्या दशरथ के नंदन
कौशल्या रानी दशरथ की पत्नी थीं और वे दशरथ के प्रियतम पुत्र राम की माता थीं। वे दशरथ के नंदन (प्रियतम) थीं, जिसका अर्थ है कि वे दशरथ की सबसे प्रिय पत्नी और पुत्री थीं। कौशल्या रानी को राजमाता के रूप में भी जाना जाता है और वे राजस्थान के संपूर्ण संस्कृति और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी आदर्शता, गुणवत्ता और प्रेम प्रदर्शन को आदर्श मातृभाव के रूप में उदाहरणीय माना जाता है।
राजा दशरथ की कितनी पत्नियां थीं
राजा दशरथ की कुल मिलाकर चार पत्नियां थीं। उनकी पत्नियों के नाम इस प्रकार हैं:
1. कौशल्या
2. कैकेयी
3. कैकेयी की बहन के रूप में सुमित्रा
4. कैकेयी की दूसरी बहन के रूप में कैकेयी की बहन के रूप में श्रूतकीर्ति
यह चारों पत्नियां राजा दशरथ की रानियां थीं।
राजा दशरथ की वंशावली
राजा दशरथ की वंशावली को “इक्ष्वाकु वंश” के तहत जाना जाता है। वह इक्ष्वाकु वंश के सदस्य थे और इस वंश का संचालन करते थे। इक्ष्वाकु वंश का उद्भव मनुवंशी राजा इक्ष्वाकु से हुआ था। राजा दशरथ इक्ष्वाकु वंश के अंतिम और महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे।
इक्ष्वाकु वंश की प्रमुख पृष्ठभूमि रामायण में मिलती है, जिसमें राजा दशरथ, भगवान राम और उनके बाद भगवान कृष्ण शामिल होते हैं। इस वंश का महत्वपूर्ण स्थान वेदों, पुराणों और हिंदू धर्मग्रंथों में भी है। इसे एक प्रमुख और पवित्र वंश माना जाता है, जिसमें भगवान की अवतारी और महान राजा हुए हैं।
राजा दशरथ के पिता का नाम
राजा दशरथ के पिता का नाम किंपु था। वे इक्ष्वाकु वंश के सदस्य थे और आयोध्या के महाराज थे। किंपु राजा थे और उनके बाद उनका पुत्र दशरथ ने राज्य संभाला। दशरथ ने अपनी पिता के धर्म का पालन किया और उनके शासनकाल में आयोध्या में सुख और समृद्धि का काल था।
राजा दशरथ की पुत्री का क्या नाम था
राजा दशरथ की पुत्री का नाम शांता था। शांता राजा दशरथ की सबसे बड़ी पुत्री थीं। हालांकि, रामायण में शांता के बारे में विस्तार से उल्लेख नहीं होता है
राजा दशरथ किसके अवतार थे
हिंदू धर्म के अनुसार, राजा दशरथ भगवान विष्णु के एक अवतार थे।